कवि की मां
देवेंद्र कुमार देवेश
फफक कर रोने लगी भरी सभा में
दिवंगत कवि की माँ,
वह जानती थी
कि खचाखच भरे सभागार के दर्शक
आए हैं पुरस्कार-समारोह तथा
नाटक, कविता, आवृत्ति और गान के लिए
तथापि भाव विह्वल हो उठी वह
जब सभारंभ में ही
स्मरण किया गया उसके बेटे को
गुणगान हुआ उसके कवित्व का
मंच पर बुलाया गया कवि के परिवार को।
सभा को करते हुए संबोधित
कवि की एक कविता सुनाने से पूर्व
कहा कवि की माँ ने
यहाँ कितने ही बंधु हैं उसके बेटे के
आप सब भी जानते-पहचानते हैं उसे
ढूँढ़कर ले आएँ उसको मेरे पास
पता नहीं कहाँ चला गया वह
मेरा इकलौता बेटा
आप सबका प्रिय कवि।
5 मई 2019, कोलकाता
কবির মা
[কবিঃ দেবেন্দ্র কুমার দেবেশ]অনুবাদ - তৃষ্ণা বসাক
ভরা সভার মাঝে
ফুঁপিয়ে ফুঁপিয়ে কেঁদে উঠলেন
প্রয়াত কবির মা,
তাঁর জানা ছিল
কানায় কানায় পূর্ণ সভাঘরে
সমাগত দর্শক
পুরস্কার সমারোহ
এবং নাটক কবিতা আবৃত্তি আর গান শুনতে।
তবুও,
যখন সভার শুরুতে
স্মরণ করা হল তাঁর ছেলেকে,
প্রশংসিত হল তার কবিতা,
মঞ্চে ডাকা হল কবির পরিবারকে -
আবেগবিহ্বল হয়ে পড়লেন মা।
সকলকে নমস্কার জানিয়ে
কবির একটি কবিতা শোনানোর আগে
কবির মা বললেন -
এখানে আমার ছেলের কত বন্ধুকে দেখতে পাচ্ছি,
তোমরা তো সবাই তাকে চিনতে, জানতে,
আমার কাছে তাকে খুঁজে এনে দাও,
কে জানে কোথায় চলে গেল সে,
আমার একমাত্র ছেলে,
তোমাদের সবার প্রিয় কবি।
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